Thursday, May 20, 2010

पौवा

न मुझे कोई शिकवा न मुझे कोई गिला
जब से पीने को पौवा मिला
नशे मैं मैने ताजमहल हिलाया
धीरे धीरे अपनी चिता जलाया
तुम क्या जानो इशकी महिमा
शिव संकर की ये बढ़!ता गरिमा
शाम सबेरे सब गुण गाते
नियम से मद्रिआलय जाते
जब पोवा से गला तर होता
किसी से न कोई डर होता
क्या राजा और क्या फकीर
सब इश र!स्ते के राहगीर
क्या बुधवार क्या रविवार
पौवा का हर दिन पर अधिकार
कहत राकेश सुनो सब लोग
पऊवा से दूर होते सब रोग
दोस्तों के साथ मौज से जीयो
पौवा साथ रोज बैठ के पीयो
क्या दिल्ही क्या बनारस
हर जगह मिलता ये रस
पौवा के हैं नाम अनेक
जात धरम का कोई न रोक
पौवा से है देश मैं शांति
मिले न ये तो होवे क्रांति
पौवा है अमृत का प्याला
इशके पीछे कितनो ने घर फूक डाला
चाहे पीयो हज़ारों बार
फिट भी दिल को नहीं करार
बिना इशके जिंदगी है बेकार
पौवा पीकर करो उध्धार
जिंदगी है एक ज़हर का किला
पौवा पीकर ही मुक्ति मिला


copyrights Rakesh Kumar may 2010

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