चलो इसी बहने तो हम जाने गए
क्या हुआ जो बरसो पुराने दोस्ताने गए
क्या हुआ जो आज उन्होंने ने खंजर उठा लिया
इस बहाने कम से कम शब्दों के वीराने तो गए
मेरी बारात नहीं पहुंची उसकी गली तक तो क्या हुआ
ये क्या कम है जो उसकी गली में मेरे अफसाने गए
हमारी सांस रुक गयी तो भी कोई देखने न आया
वो दो शब्द कम क्या बोले सब लोग उनको मनाने गए
भुला दिया था कब का उन्होंने मुझे एक लम्हा समझ कर
पर मेरे जिंदगी के कई बर्ष उनको भुलाने मैं गए
आज भी दरवाजे पर वो माएं राह देखती होगी
बरसो पहले जिनके जवान बेटे शहर में कमाने गए
महंगे सपने देखने की कोशिश तो की थी हमने
पर तमाम जिंदगी मेरी उसकी कीमत चुकाने में गए
ज़िन्दगी की दौड़ मैं थक कर जब मैंने बंद कर ली आँखें
फिर कभी नहीं उठा जब लोग हमे जगाने गए
और क्यों नहीं लिख पाया इसका क्या जवाब दू
बस जोर की लगी थी और हम पाखाने गए
(C) Rakesh Kumar
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