घटा आयी सावन की और बादल जोर से बर्षा
फिर भी एक प्यासा पानी को तरसा
हुआ एक सबेरा और सूरज जोर का निकला
फिर भी दिलों का अँधेरा कभी बाहर ना निकला
बेच डाला अपनी सारी जिंदगी उनकी प्यार की आस में
फिर भी उनकी दिल पाने कि कीमत कम निकला
गुजर गयी ज़िन्दगी एक मन्ज़िल कि चाह में
फिर भी उनका रास्ता ज़िन्दगी से दूर निकला
©Rakesh Kumar April 2014
फिर भी एक प्यासा पानी को तरसा
हुआ एक सबेरा और सूरज जोर का निकला
फिर भी दिलों का अँधेरा कभी बाहर ना निकला
बेच डाला अपनी सारी जिंदगी उनकी प्यार की आस में
फिर भी उनकी दिल पाने कि कीमत कम निकला
गुजर गयी ज़िन्दगी एक मन्ज़िल कि चाह में
फिर भी उनका रास्ता ज़िन्दगी से दूर निकला
©Rakesh Kumar April 2014
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