Monday, October 22, 2012

गिला तो बस इतना रहा...


जिंदगी जीने में रह गया बस थोडा सा गिला
जो चाहा मैने सभी कुछ मिला
गिला तो बस इस बात का रहा की काफी देर से मिला

जिंदगी के बाज़ार में क्या खोया क्या पाया
उन तमाम चीजों का मैंने किया एक दिन हिसाब 
गिला बस इतना रहा की हर सौदे में मेरा ही नुक्सान रहा  

ऐसा तो नहीं की सिर्फ ख्वाबों में ही हुई मेरी जिंदगी बसर 
गिला बस इतना रहा की हकीकत से कभी सामना नहीं हुआ

यूँ तो मेरा गुलिस्तान हरदम रहा फूलों से भरा
गिला तो बस इतना रहा की कभी काँटों से कोई वास्ता नहीं रहा

यूँ तो मुझे लोगों से तमाम उम्र प्यार बेशुमार मिला
गिला तो इतना रहा की सिर्फ अपने आप से ही नफरत करता रहा 

यूँ तो हर मुश्किलों से मैं जीतता ही रहा 
गिला तो बस इतना रहा की जीतने के बाद भी कभी खुश नहीं रहा 

यूँ तो तुम्हे भुलाने की कोशिश में हर शाम सिर्फ नशे में ही रहा 
गिला तो बस इतना रहा की सामने फिर भी सिर्फ तुम्हारा ही चेहरा रहा  

यूँ तो इस दुनिया के लोगों में मोहब्बत की कोई कमी नहीं थी
गिला तो इस बात का रहा की जिन हाथों को मैंने पकड़ा उनमे पत्थर निकला

यूँ तो दुनिया की नजरों में हर वक़्त मेरा तन ढंका रहा   
गिला तो बस इतना रहा की दिल जख्मो पर कभी कोई पर्दा न रहा

यूँ तो उम्र लम्बी रही, तमाम वर्ष जीने में गुजारा 
गिला तो बस इतना रहा की कभी कोई पल जीने को नहीं मिला

यूँ तो मुझे पता था मंजिलों तक जाने का रास्ता 
गिला तो बस इतना रहा की उनपर चलने का कभी वक़्त नहीं मिला  

यूँ तो तमाम उम्र खुद अपने पैरों पर चला, कभी किसी का एहसान न लिया 
गिला तो इस बात का रहा की जिंदगी के आखिरी सफ़र में दुनिया का कर्जदार बन गया     


(C) Rakesh Kumar Oct 2012.

Thursday, October 18, 2012

राजनीति पर...

  
रिफार्म की नैया आई देश मैं फडीआई लायी 
फडीआई आई तो ममता मैया गुर्राई 
ममता की छमता पर उठाया मनमोहन ने सवाल
मीडिया में हाहाकार और देश में मच गया बवाल 
उठे कई सवाल पर किसी को नहीं चिंता की देश क्या हाल 

हर बात का बीजेपी केवल करे विरोध
राइ का पहाड़ बना कर रोज करे गतिरोध 
दिल में जाने कितनी नफरत और प्रतिरोध 
रोज करें डिबेट की किसने मोटा माल लुटा 
चुनाव की तयारी में बीजेपी पूरा जुटा
आडवानी के मन में फिर से लड्डू फुटा 
कंघी करें बाल में पोलिश करें जूता 
 
मुलायम और मायावती दोनों अपनी गोटी साधें 
एक तीर से दोनों कई निशाने साधे 
अखिलेश बनी मुख्यमंत्री खूब लूटे युपी 
दिल्ही में सरकार की छाती पर मुलायम ठोके खूंटी 
बीस सांसद ले के मायवती बने  मन बढंग 
बात उसकी सुन के मन हो जाए दंग  
बात बात पर गिरगिट की तरह वो बदले रंग 

सुषमा माई की भाषा जैसे बोले कसाई 
मीडिया को समझ कर जज जोर जोर से चिल्लाई 
बचाओ बचाओ देश गया डूब भ्रष्टाचार  की आंधी आई
 
अरुण जेटली का दिमाग कुतर्क की भरी पोटली
न्यूज़ चैनल पर बैठ कर सेकें चाय की केतली  
हर मसले पर उनकी वकालत वाली राय 
वो  भैंस के आगे बीन बजावे और भैंस खडी पगुराय 
 
जयललिता की शेप है सबसे जुदा 
तमिलनाडु में बैठ गायें अपनी कविता
घर से ज्यादा पड़ोस के बारे में रखे खबर
श्रीलंका  में क्या होए उस पर है उनकी नजर 

बीजेपी को भी खुद पर नहीं इख्तियार 
पीम आडवानी हो या मोदी इसमें है तकरार 
गुजरात में मोदी की भी है अपनी ललकार 
बनुगा मैं पीम जब बीजेपी की हो सरकार 

बिहार के राजा है नीतीश कुमार 
उनका दिमाग है दुधारी तलवार 
बिहार के लिए उनकी है अलग है मांग 
NDA या UPA दोनों ही नाव में उनकी टांग 

कभी थे रेल मंत्री लेकिन अब औकात के संत्री
खाया था कभी चारा लेकिन अब है बेचारा
नाम है लालू  अब खा रहे है केवल आलू  

सारे परिवार की है राजनीती मैं गतिविधि
करुना निधि की अलग है विधि 
उनके सुपुत्र है राजा और निधि 
उनके लिए नहीं कोई कुर्सी है बनी 
इसलिय उनकी बात कभी नहीं टली

अरविन्द केजरीवाल हर रोज करें सवाल 
देश की अवस्था पर उनको है मलाल
सभी लोगों को वो लगें काल सामान
राहुल, वडारा, खुर्सिद लगें इनको दोसी 
उनकी चलें तो वो लटका दें इनको फासी 
भ्रष्टाचार की नाव पर चढ़ कर लें खुद की ताजपोशी

PS:Above lines should be taken in humour sense only.
(C)Rakesh Kumar Oct. 2012