Sunday, February 03, 2013

और मत मारो मुझे...

मुझे तो सब ने मारा
किस किस ने नहीं मारा
मुझे घर के अन्दर अपनों ने मारा
घर के बहार अन्जानों ने मारा
स्कूल में दोस्तों ने मारा
होमवर्क ना करने पर टीचर ने मारा
कभी पड़ोसियों ने मारा
तो कभी सड़क पर चलते लड़कियों ने मारा
अनजानों ने मारा ही, जानने वालों ने भी मारा
कभी वजह के मारा, कभी बिना वजह के मारा
और तो और बचाने वालों तक ने मारा
किस किस ने नहीं मारा मुझे
मुझको ख़ामोशी ने मारा, शब्दों ने मारा
और कुछ मेरे अनकहे एहसाशों ने मारा
कभी बेफिक्री ने मारा तो कभी फिक्र ने मारा
और मार खाने का क्या गम करता
जब मुझको प्यार करने वालों तक ने मारा
बचपन ने मारा, जवानी ने मारा
खैर बुढ़ापे ने तो मारा ही
वक़्त ने मारा, किस्मत ने मारा,
कुछ सच ने मारा, कुछ झूठ ने मारा
कुछ जिंदगी की हकीकत ने मारा
और कुछ मेरे ही टूटे हुए सपनों ने मारा
बीते ही कल ने मारा और आने वाले कल ने भी
आंशुओं ने ही सिर्फ नहीं मारा मुझे, खुशिओं ने भी मारा 
मौत के मारने का नहीं गिला मुझे, मुझे तो जिंदगी ने ही बहुत मारा
और अक्सर खुद ही को मैने खुद से ही मारा
अब और मत मारो मुझे..

© Rakesh Kumar Jan 2013

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