Friday, April 04, 2014

घटा आयी सावन की और बादल जोर से बर्षा
फिर भी एक प्यासा पानी को तरसा

हुआ एक सबेरा और सूरज जोर का निकला
फिर भी दिलों का अँधेरा कभी बाहर ना निकला


बेच डाला अपनी सारी  जिंदगी उनकी प्यार  की  आस में
फिर भी उनकी दिल पाने  कि कीमत कम निकला


गुजर गयी ज़िन्दगी एक मन्ज़िल कि चाह में
फिर भी उनका रास्ता ज़िन्दगी से दूर निकला


©Rakesh Kumar April 2014
 

No comments: