Saturday, June 11, 2022

आगाज़..

कैसे करू आज इस दिन का आगाज़ 
काश छुपा लूं इस मुठी में नीला आकाश

आशमां से आगे है उस मज़िल की पुकार 
की आ जाओ उमीदों के उड़न खटोले पर होकर सवार 

हम और तुम जैसे अंबर और आकाश 
हो जाए आलिंगन तो मिले जिंदगी की मंजिल को आधार 

हो जिंदगी के हर एक पल इतने रुमानी 
की कामयाबी के हर कदम पर लिखू एक नई कहानी

© Rakesh Kumar June 2022


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