Wednesday, June 29, 2022

हासिल...

जाने कितने टूटे हुए लम्हो का अंजाम हैं हम
और दुनिया ये समझती है की बहुत आबाद है हम

क्या गीनू की कितनी खुशी और गम में जीते हैं हम 
जब हर वक्त हमको हमारी पलके मिलती हैं नम 

कभी झुठे तो कभी खुद को सच्चे लगते हैं हम 
और खुदी से ही लड़ कर खुद से ही हारते हैं हम 

जीने की क्या सुनाएं अब अपनी दास्तान तुमको हम 
जब अब तक नहीं बोले पाए जिंदगी की भाषा हम 

मरते हुए लम्हो के जीने में हमको मिला ही क्या 'राकेश'
कल भी बरबाद थे और आज भी हमको बरबाद मिले हैं हम

June 2022

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