Wednesday, August 31, 2011

लोकपाल बिल...


दोनों ही भ्रष्टाचार के बात पर लड़ते हैं
सरकार संसद में बहस करती हैं  
और अन्ना रामलीला मैदान में अनसन करते हैं  
फैसले उम्मीद के उम्मीद से दोनों कुछ मीटिंग भी करते हैं 

कहाँ घूसखोरी नहीं है और कहाँ चोरी नहीं है 
भ्रष्टाचार का राज्य है और जनता की सीनाजोरी है 
कानून बना देना तो बहुत आसान है 
पर हम आम आदमी के ग़मों को भी तो देखिये 
भीड़ जुटा लेना कौन से बड़ी बात है 

ये अनसन का मेला है और लोग भीड़ में जुटते है
कुछ लोग इंटरनेट और फेसबुक पर भी बहस करते हैं  
अनसन के दिखावे में जाने लोग क्या क्या नहीं करते हैं...

एक बार अगर बिल संसद में पास भी हो जाये 
पर हम लोगों के दिल से मक्कारी कैसे भगाई जाये 

कुछ लोग अनसन के लिए घर से निकलते हैं... 

सरकार में पॉवर तो है पर उसमे जज्बा नहीं है    
अन्ना में जज्बा तो है उनमे पॉवर नहीं है  
सरकार के काम  काम का है न अन्ना के काम का 
बिल भी बन जाए तो भी इस देश में इमानदारी हराम का

एक बार तो सरकार बिल बना भी दे लेकिन 
उसके मंत्री न जेल जाये इस बात से डरती है... 

अन्ना और सरकार के मीटिंग मैं हर बार यही होता है 
कुछ नया तो कुछ पुराना न्यूज़ होता है 
और ये न्यूज़ चैनल वाले ऐसे बहस करते हैं जैसे 
न्यूज़ पेश करना कोई व्यापार हो जैसे 
और लोग अन्ना का ऐसे सपोर्ट करते है की 
खुद इमानदारी के मूरत हो जैसे...

एक बार तो बिल बन भी हो जाये लेकिन...

यूं तो हमारा भी मन भूख हड़ताल करने का होता है 
पर खाली पेट सोते हुए बहुत जयादा दर्द होता है

अनसन के वक़्त हर दिन दिन यही होता  है 
भ्रस्ताचार के विरोध मैं हर सख्स खड़ा होता है 
और क्या बताये की अनसन के दिन से क्या हाल हुआ है 
खाने के हर कौर को निगलते हुए हम डरते हैं

और पक गया है हमारा कान सुन के लोक पाल बिल के बारे मैं 
न और जिक्र कीजिए अब भ्रष्टाचार के बारे मैं  
और हम भी इस आन्दोलन से अब क्या उम्मीद रखें 
जो लोग अनसन में शामिल हैं हमे भी पता है उनकी नीयत के बारे मैं 

(c) Rakesh Kumar Aug 2011

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