Tuesday, August 24, 2010

(राकेश के) दोहे

आजकल के नेता भूल गए हैं चिंतन
संसद मैं बैठ कर करें एक दूसरे की माँ बहन

खाना पानी र्दोस्त मित्र सब गए वो भूल
जबसे उनको चढा है सोसल नेटवर्किंग का जनून

अब कैसे अच्छा लगे उनको अपना देश
जबसे उनको मिला है अमरीका मैं प्रवेश

कितना मिले सेलरी कितनी बड़ी है कार
इन सब से ही मिलता है अब सच्चा प्यार

जबसे हुआ है देश मैं इन्टरनेट का प्रसार
तब से लोग भूल गए हैं चीट्ठी और तार

बेच रहें हैं वो शिक्षा खोल कर के स्कूल
कैसे पढेंगे अब गरीब के कलेजे के फूल

जिंदगी के जंग मैं जीत उसी की होई
राजा को बचाने के लिए पैदल जिसने खोई

दो ही पल कठिन गुजरे हैं उनकी याद में
एक आने के पहले और एक जाने के बाद में

आजकल कुछ सिखने का ना जरुरत, ना डर
जब न कुछ आवे तो गूगल मैं बेझिझक सर्च कर

किचन मैं जाकर नारी तू मत हो शर्मशार
जब पति को भूख लगे तो पिज्जा से कर उपचार

माडर्न गर्ल फ्रैंड रखने के सर दर्द है चार
फोन बिल बढे, दोस्त भगे, पैसा घटे, सोने की फुर्सत ना मिल पाए

दो मन्त्र याद रखो अगर बढ़ना है तुमको कॉर्पोरेट वर्ल्ड मैं आगे
अपने बराबर वाले की काटो और अपने ऊपर वाले की चाटो

टीवी पर देखो चैनल खुल गए हैं हजार
मीडिया के दलाल कर रहे हैं न्यूज का व्यापार

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